बिलासपुर: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के में आने वाले गोंदिया बल्लारशाह सेक्शन में रेल लाइन के दोहरीकरण को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है.

गोंदिया बल्लारशाह रेल लाइन दोहरीकरण: लगभग 4 हजार 819 करोड़ रुपये की लागत से पूरी होने जा रही परियोजना से छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बेहतर रेल संपर्क मिलेगा. रेल मंत्री ने कहा कि यह परियोजना क्षेत्रीय विकास में अहम भूमिका निभाएगी और माल और यात्री परिवहन में गति और सुविधा बढ़ेगी.

रेलमंत्री ने गोंदिया बल्लारशाह सेक्शन दोहरीकरण को देश के समग्र रेल नेटवर्क को मजबूती देने वाली योजना बताया. इस सेक्शन के दोहरीकरण से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी, समय की बचत होगी और भीड़भाड़ कम होगी. यह परियोजना आने वाले समय में क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को बढ़त देने में भी मददगार होगी.

गोंदिया – बल्हारशाह रेलवे लाइन डबलिंग परियोजना

लागत: ₹4,819 करोड़

रूट लंबाई: 240 किमी

मुख्य विशेषताएं:

• 29 स्टेशन, 36 बड़े पुल, 338 छोटे पुल, 67 अंडरब्रिज

• उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण रेल मार्ग

• नागझिरा अभयारण्य और नवागांव राष्ट्रीय उद्यान जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों से होकर गुजरता है.

गोंदिया बल्लारशाह रेल लाइन डबलीकरण से लाभ

  • गोंदिया-जबलपुर रेल लाइन के भी दोहरीकरण का प्रस्ताव है. जबलपुर-गोंदिया-बल्लारशाह लाइन के दोहरीकरण से उत्तर-दक्षिण भारत के बीच वैकल्पिक और बेहतर मार्ग उपलब्ध होगा. इससे अत्यधिक व्यस्त इटारसी-नागपुर मार्ग का ट्रैफिक दबाव भी कम होगा.
  • हालांकि वर्तमान में भी जबलपुर-गोंदिया-बल्लारशाह मार्ग से विभिन्न ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. रेल लाइन के दोहरीकरण पश्चात इस मार्ग की क्षमता में वृद्धि होगी.
  • रेल संचालन की गति और समयबद्धता में और भी अधिक सुधार होगा.
  • गोंदिया-बल्लारशाह रेल लाइन का दोहरीकरण से इस मार्ग में माल परिवहन को भी बढ़ावा मिलेगा.
  • महत्वपूर्ण पावर प्लांट्स को कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी, जिससे देश की औद्योगिक क्रियाकलापों को बल मिलेगा.
  • वर्तमान में गोंदिया-बल्लारशाह सेक्शन की क्षमता 125% उपयोग में है, दोहरीकरण से अतिरिक्त क्षमता उपलब्ध होगी.
  • विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों सहित तेलंगाना के कई जिलों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा
  • लाभान्वित जिले: गोंदिया, भंडारा, गढ़चिरौली, चंद्रपुर
  • हर वर्ष 62 करोड़ किलोग्राम CO₂ की बचत – 2.5 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर

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