हमीरपुर:– मुस्करा कस्बे का ऐतिहासिक जवारा जुलूस बड़ी धूमधाम से निकाला गया। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने मां कालिका देवी मंदिर में माथा टेककर मन्नत मांगी।
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी चैत्र मास की पूर्णिमा को कस्बे में ऐतिहासिक जवारा जुलूस निकाला गया। शनिवार को जवारा जुलूस देखने के लिए समूचे जनपद से लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी। जुलूस में सबसे आगे सजे हुए हाथियों की कतार, ढोल नगाड़ा की धुनों पर नाचते थिरकते हुए सैकड़ो की संख्या में घोड़े, मथुरा वृंदावन से आए हुए कलाकारों की राधा कृष्ण की झांकियां एवं भोलेनाथ व स्कूली बच्चों की मनमोहक झांकियां देखकर दर्शक गदगद हो गए।
जवारा जुलूस दिन में दो बजे विश्राम कुशवाहा के दिवाले से प्रारंभ होकर छः थोक अमृतलाल दाऊ के दिवाले से चलकर चाईं मांथो की अस्थाई, पूरवा मुहाल, पंचायत घर, शीतला माता मंदिर से चलकर गुदरिया बाबा में पूरा जुलूस एकत्र होता है। यहीं पर सैकड़ो देवी भक्त अपने-अपने गालों में सवा कुंटल बजनी सांग छिदवा कर देवी मां के प्रति आस्था रखकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जवारा जुलूस में सबसे पीछे बड़ी संख्या में महिलाएं देवी गीत व भजन गाते हुए चल रही थीं। जवारा जुलूस गांव की गलियों से गुजरा हुआ गुदरिया बाबा के मैदान पर एकत्र होकर कतार बंद चलकर डाकखाना चौराहा, मस्जिद चौराहा से बस स्टैंड होते हुए, जालपा माता मंदिर से अघोरी बाबा के स्थान की परिक्रमा कर मां कालिका देवी मंदिर पहुंचा। जहां पर पारंपरिक ढंग से महिलाओं ने सिर पर रखे हुए जवारों का देवी तालाब में विसर्जन किया और माता के जयकारों के साथ जुलूस का समापन हुआ। ग्राम प्रधान महेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व प्रधान त्रिभुवन सिंह राजपूत, बिंहुनी प्रधान पप्पू सिंह राजपूत, रामशरण शुक्ला, वरिष्ठ मेंबर राजेंद्र व्यास, अरुण लाक्षाकार, बृजलाल बाबा, अभिषेक तिवारी, कैलाश दीक्षित, अर्जुन अकेला सहित कस्बे के युवा कार्यकर्ताओं ने जुलूस की व्यवस्था बनाए रखने में अपना योगदान दिया। और साथ ही साथ स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर योगेश तिवारी मय पुलिस बल और आसपास के थानों से आई पुलिस एवं पीएसी के जवानों ने जुलूस की व्यवस्था को बनाए रखने में विशेष योगदान दिया।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बस स्टैंड तिराहे पर हाथी में बैठकर पूर्व प्रधान त्रिभुवन सिंह व उनके छोटे भाई शिव वरण सिंह राजपूत ने अपने पिता स्वर्गीय अमृतलाल दाऊ की स्मृति में सवा कुंटल पीतल व स्टील धातु के बर्तन लुटाकर अपनी परंपरा को कायम रखा। जिसका दूरदराज से आए दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने बर्तनों को लूटकर प्रसन्नता जाहिर की।